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Friday, December 29, 2017

पेशवा बाजीराव: अपने कार्यकाल में एक भी युद्ध न हारने वाले शासक

पेशवा बाजीराव: अपने कार्यकाल में एक भी युद्ध न हारने वाले शासक

 

भारतीय इतिहास में मराठा साम्राज्य का खास योगदान रहा. उस साम्राज्य में एक पेशवा बाजीराव नाम के एक राजा हुए, जिन्होंने अपने यश से मराठा साम्राज्य का विस्तार किया.
कहा जाता है कि अपनी सेना के कार्यकाल में उन्होंने एक भी युद्ध नहीं हारा. तो आईये भारत के इस महान योद्धा को जरा नजदीक से जानने की कोशिश करते हैं–

छोटी उम्र में ही थाम लिए हथियार

पेशवा बाजीराव का जन्म 18 August 1700
को छत्रपति शाहू की सल्तनत में हुआ. उनके पिता का नाम बालाजी विश्वनाथ और माता का नाम राधाबाई था. चूंकि पेशवा के पिता छत्रपति शाहू के पहले पेशवा थे, इसलिए बचपन से ही पेशवा ने शौर्यता के किस्से सुने थे. यही कारण रहा कि वह थोड़े बड़े हुए तो उन्होंने रण-कौशल का हुनर सीखना शुरु कर दिया.
यही नहीं युवा होते ही वह अपने पिता के साथ सैन्य अभियानों में भाग तक लेने लगे. इन सबके कारण वह देखते ही देखते कुछ ही दिनों में मराठा की सेना के जनरलों द्वारा अच्छी तरह से प्रशिक्षित हो गए थे. बाद में 1920 के आसपास जब उनके पिता की मृत्यु हो गयी, तो उन्हें पेशवा के पद पर मनोनीत किया गया. इस समय बाजीराव की उम्र महज 20 वर्ष की रही होगी.
चूंकि उनकी उम्र बहुत कम थी, इसलिए उनकी नियुक्ति पर खूब हो हल्ला भी हुआ. वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर सवाल उठाए. हालांकि, इस सबके बावजूद बाजीराव पेशवा का पद पाने में सफल रहे.
पेशवा बनते ही बाजीराव ने अपने इरादे जाहिर कर दिए. वह मराठा ध्वज को दिल्ली के दीवारों में लहराते हुए देखना चाहते थे. साथ ही वह मुग़ल साम्राज्य को सत्ता से बाहर करना चाहते थे.

शाहू महाराज को अनुमति मिली तो…

मुगलों को खत्म करने के इरादे से आगे बढ़ने के लिए बाजी के सामने सबसे पहले महाराज शाहू को इसके लिए मनाने की बड़ी चुनौती थी. खैर, उन्होंने हिम्मत जुटाते हुए एक सभी के दौरान हिम्मत जुटाते हुए कहा, महाराज हम बंजर दक्कन को पार कर मध्य भारत पर मराठा झंडा को गाड़ सकते हैं. यह मुगलों पर वार करने का बहुत सही समय है.
इस वक्त मुगलों के ज्यादातर राजा कमजोर, धृष्ट, व्यभिचारी और नशे की लती हो चुके हैं. ऐसे में हम उन पर हमला करके उनकी सारी धन-संपदा पर अपना कब्जा कर सकते हैं. उनके जोश भरे लहजे से सब हैरान थे.
सभा में मौजूद सभी लोगों ने उनका विरोध किया, किन्तु शाहू महाराज उनसे प्रभावित हुए और उन्हें अपनी योजना के साथ आगे बढ़ने के लिए कहा. अनुमति मिलते ही बाजी नहीं रुके और शुरु कर दिया मुगलों का पतन.
कहते हैं कि जैसे-जैसे वह उत्तर की तरफ बढ़ते रहे, वैसे-वैसे मुगलों का पतन नजदीक आता रहा. माना जाता है कि मुगल शासक उनसे इस तरह खौफ खाने लगे थे कि उनका सामना करने से डरते थे. इसका फायदा उठाते हुए उन्होंने हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ स्थलों को मुगलों के शोषण, भय व उत्पीड़न से मुक्त कराया.

किसी भी लड़ाई में नहीं हारे थे!

 बाजीराव ने मुगलों के पतन के लिए पूरे भारत में कई अभियानों को भी चलाया. इसमें निजाम, बुंदेलखंड और गुजरात का अभियान कुछ प्रमुख नाम हैं.
बाजीराव की सबसे बड़ी खासियत थी कि वह एक अच्छे घुड़सवार होने के साथ-साथ गजब के रणनीतिकार भी थे. इस कारण दुश्मन उनका सामना नहीं कर पाते थे.
इसके साथ ही उन्होंने गुजरात और मध्य भारत के अधिकांश क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की. उनके इस विजय-रथ ने मुगलों की नींव हिला दी. उनकी रणनीति ही थी कि वह अपने सफर में राजपूत शासकों से टकराव से बचते रहे. इसका फायदा यह हुआ कि वह मराठों और राजपूतों के मध्य मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने में सफल रहे, जोकि उनके साम्राज्य के विस्तार में मददगार हुआ.
कहते हैं कि बाजीराव ने 40 से अधिक लड़ाइयाँ लड़ीं. खास बात तो यह थी कि इनमें से किसी भी लड़ाई में वह पराजित नहीं हुए. कई लोग तो उनकी तुलना नेपोलियन बोनापार्ट तक करते है 

मस्तानी संग बाजीराव की कहानी

बाजीराव के युद्धों में से इलाहाबाद का युद्ध बड़ा ही यादगार युद्ध था. 1727 में  इलाहाबाद में बाजीराव ने एक मुगल सरदार को पराजित किया था, तो छत्रसाल ने खुश होकर उन्हें मस्तानी से विवाह का प्रस्ताव दे दिया. हालांकि, बाजीराव की पहले से ही शादी हो रखी थी, इसलिए उन्होंने मस्तानी से शादी नहीं की.
हालांकि, उनके साथ उनके प्रेम-प्रंसग को लेकर खूब कहानियां पढ़ने को मिलती हैं और यह भी कहा जाता है कि बाजीराव ने उन्हें अपनी दूसरी पत्नी के रुप में स्वीकार कर लिया था.
एक कहानी की माने तो मस्तानी बहुत ही ज्यादा सुंदर थीं. इतनी सुंदर की बाजीराव उनकी तरफ खिचे चले गए. दिलचस्प बात यह थी कि मस्तानी केवल खूबसूरत नहीं थीं, बल्कि वह घुड़सवारी, तलवारबाजी जैसे गुणों से परिपूर्ण थी. इसके अलावा वह राजनीति की समझ रखती थी. इन्हीं के चलते बाजी उनके नजदीक जाते गए.
माना जाता है कि अंतत: बाजी ने उनके साथ विवाह करते हुए उन्हें अपनी दूसरी पत्नी के रुप में स्वीकार कर लिया था.
पूरी दुनिया में अपने यश से मराठाओं का नाम रोशन करने वाले बाजी की मृत्यु इस तरह होगी, ऐसा किसी को यकीन न था. कहते हैं कि 1740 में बाजी अपनी सेना के साथ खरगांव में थे, इस दौरान उन्हें तेज़ बुखार हुआ, जोकि उनकी मृत्य का कारण बना.
वैसे इस विषय पर संजय लीला भंसाली की फिल्म बाजीराव मस्तानी भी खासी चर्चित रही.
आप क्या कहेंगे इस महान योद्धा के सफ़र पर?
Great Baji Rao

 


 

 

 


Thursday, August 17, 2017

भारत के शहरो व राज्य के भौगोलिक उपनाम || Nick names of famous indian cities

भारत के शहरो व राज्य के भौगोलिक उपनाम

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1. भारत का निवास स्थान - प्रयाग
2. पांच नदियों की भूमि -पंजाब
3. सात टापुओं का नगर- मुंबई
4. बुनकरों का शहर- पानीपत
5. अंतरिक्ष का शहर बेंगलुरू
6. डायमंड हार्बर -कोलकाता
7. इलेक्ट्रॉनिक नगर -बेंगलुरू
8. त्योहारों का नगर -मदुरै
9. स्वर्ण मंदिर का शहर -अमृतसर
10. महलों का शहर कोलकाता
11. नवाबों का शहर- लखनऊ
12. इस्पात नगरी -जमशेदपुर
13. पर्वतों की रानी -मसूरी
14. रैलियों का नगर -नई दिल्ली
15. भारत का प्रवेश द्वार मुंबई
16. पूर्व का वेनिस- कोच्चि
17. भारत का पिट्सबर्ग -जमशेदपुर
18. भारत का मैनचेस्टर- अहमदाबाद
19. मसालों का बगीचा -केरल
20. गुलाबी नगर- जयपुर
21. क्वीन ऑफ डेकन- पुणे
22. भारत का हॉलीवुड -मुंबई
23. झीलों का नगर -श्रीनगर
24. फलोद्यानों का स्वर्ग -सिक्किम
25. पहाड़ी की मल्लिका -नेतरहाट
26. भारत का डेट्राइट -पीथमपुर
27. पूर्व का पेरिस- जयपुर
28. सॉल्ट सिटी- गुजरात
29. सोया प्रदेश -मध्य प्रदेश
30. मलय का देश- कर्नाटक
31. दक्षिण भारत की गंगा- कावेरी
32. काली नदी- शारदा
33. ब्लू माउंटेन - नीलगिरी पहाड़ियां
34. एशिया के अंडों की टोकरी - आंध्र
प्रदेश
35. राजस्थान का हृदय - अजमेर
36. सुरमा नगरी - बरेली
37. खुशबुओं का शहर -कन्नौज
38. काशी की बहन -गाजीपुर
39. लीची नगर - देहरादून
40. राजस्थान का शिमला -माउंट आबू
41. कर्नाटक का रत्न -मैसूर
42. अरब सागर की रानी -कोच्चि
43. भारत का स्विट्जरलैंड -कश्मीर
44. पूर्व का स्कॉटलैंड- मेघालय
45. उत्तर भारत का मैनचेस्टर - कानपुर
46. मंदिरों और घाटों का नगर - वाराणसी
47. धान का डलिया- छत्तीसगढ़
48. भारत का पेरिस -जयपुर
49. मेघों का घर -मेघालय
50. बगीचों का शहर- कपूरथला
51. पृथ्वी का स्वर्ग -श्रीनगर
52. पहाड़ों की नगरी- डुंगरपुर
53. भारत का उद्यान -बेंगलुरू
54. भारत का बोस्टन -अहमदाबाद
55. गोल्डन सिटी -अमृतसर
56. सूती वस्त्रों की राजधानी
- मुंबई
57. पवित्र नदी -गंगा
58. बिहार का शोक -कोसी
59. वृद्ध गंगा- गोदावरी
60. फाउंटेन और माउंटेन शहर - उदयपुर
61. सिल्क सिटी -भागलपुर.बिहार
62.गौतम बुद्ध -बिहार.गया
63.महावीरजैन . बिहार

Aniciant Indian Facts

💮🔘 *मौर्योत्तर काल* 🔘💮

🏀☀ *विदेशी जातियाँ* ☀🏀

🔵🔹 *इंडो - ग्रीक* 🔹🔵

❇  सिकंदर की मृत्यु के बाद पश्चिमी एशिया में सेल्यूकस ने अपना प्रभुत्व स्थापित किया। उसके पौत्र एंटीयोक्स के समय बैक्टीरिया और पर्थिया ने 250 ईसापूर्व में विद्रोह करके स्वतंत्रता प्राप्त की , जिसका शासक डियो डॉटअस प्रथम था।
❇ सिकंदर के आक्रमण के पश्चात भारत के उत्तर पश्चिम में बैक्टीरिया में यूनानी बस्ती बस गई थी । जिन्हें प्राचीन भारतीय साहित्य में यवन कहा जाता है।
❇  डेमेट्रियस ने 183 ईसापूर्व के लगभग भारतीय सीमा में प्रवेश कर पंजाब के कुछ भाग को जीतकर सियालकोट को अपनी राजधानी बनाई ।
❇ डेमेट्रियस प्रथम इंडो ग्रीक शासक था जिसने भारत में अपना राज्य स्थापित किया तथा यूनानी तथा खरोष्ठी दोनों लिपियाँ वाले सिक्के चलायें।
❇ डेमैट्रेस के बाद यूक्रेटाइड्स ने भारत के कुछ हिस्सों को जीतकर तक्षशिला को अपनी राजधानी बनाया ।
❇ सबसे प्रसिद्ध यवन शासक मिनांडर था  यह डेमेट्रियस कुल का था । इसे भारतीय बौद्ध साहित्य में मिलिंद कहा गया है। इसने बौद्ध भिक्षु नागसेन से बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण की। प्रसिद्ध ग्रंथ मिलिंदपन्हो में नागसेन वह मिनांडर की दार्शनिक वार्ता संकलित हैं मिनांडर की राजधानी *साकल* थी।
❇ _इंडो ग्रीक शासकों से पूर्व भारतीय सिक्कों पर राजा का नाम व तिथि उत्कीर्ण नहीं की जाती थी ।_
❇ इंडो ग्रीक शासक आगाथोक्लीज़ के कुछ सिक्कों पर वासुदेव तथा बलराम की आकृतियां अंकित है ।
❇ इंडो ग्रीक शासकों ने सर्वप्रथम लेख वाले सिक्के तथा सोने के सिक्के जारी किए ।
❇ भारत में सर्वप्रथम सोने के सिक्के मिनांडर ने चलाएं ।
❇ मिनांडर की काँसी मुद्राओं पर धर्म चक्र का चिन्ह मिलता है। मिनांडर ने परिभाषिक लेख युक्त मुद्राएं चलाई । ग्रीक आक्रमण में भारतीय ज्योतिष, सिक्कों , नाटक एवं कला विशेषतः मूर्ति कला पर प्रभाव डाला ।
❇ गांधार मूर्तिकला स्पष्टतया यूनानी प्रभाव से प्रेरित है।
❇  महाभारत में यमुना को सर्वज्ञ यवन कहा गया है तथा यह कहा गया है कि यद्यपि यवन मलेच्छ है किंतु अपने ज्ञान के कारण पूजनीय है।
🔵🔹 *पर्थियन या पल्लव* 🔹🔵
🏐  इनका मूल निवास स्थान इरान था ।भारतीय साहित्य में इनको शकों के साथ उल्लेखित किया गया है तथा दोनों को शक पल्लव का गया है । पल्लव वंश का सबसे शक्तिशाली शासक गोंन्डोफर्नीज था । गोंडोफर्डीज के तख्तेबाही अभिलेख जो पेशावर में है , मैं खुद को गुदव्हर कहा है।
⚽  उसके शासनकाल में सेंट थॉमस ईसाई धर्म का प्रचार करने भारत आया। इस साम्राज्य का अंत कुषाणों द्वारा हुआ । गोंडोफर्ड़नीस की राजधानी तक्षशीला थी।
⚽ वोनोनीज भारत में पहला पल्लव शासक था जबकि पर्थियन साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक मिथ्रदांत प्रथम था।



🔵🔹 *शक* 🔹🔵

❇  शकों को भारतीय साहित्य में सीथियन कहा गया है ।भारत में पहला शक शासक मावेज या माउस था ।
❇ शको की पाँच शिखाएँ थी -  अफगानिस्तान, पंजाब ,मथुरा, पश्चिमी भारत और उपरी दख्खन।
❇  शक राजाओं को क्षत्रप कहा जाता था। शकों की भारत में दो शाखाएं थी। उतरी क्षेत्रप तक्षशिला एवं मथुरा , पश्चिमी क्षत्रप नासिक एवं उज्जैन ।
❇ पश्चिम क्षत्रप में क्षहरात वंश का नहपान तथा कार्दमक वंश का रुद्रदामन अधिक प्रसिद्ध थे।
❇  शकों ने पश्चिमी भारत में लगभग चार सदियों तक शासन किया और बड़ी संख्या में चांदी के सिक्के चलाए ।


☀ *चष्टन वंश*

❇ चष्टन वंश का संस्थापक यशोमोतिक है । यशोमोतिक का पुत्र चेष्टन था ।
❇ रुद्रदामन ने गिरनार की प्रसिद्ध सुदर्शन झील की मरम्मत करवाई । इस झील का निर्माण मौर्य काल में हुआ इस समय सौराष्ट्र का प्रांतपाल सुविशाख था।
❇ रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख संस्कृत में लिखित प्रथम अभिलेख था। इससे पूर्व के सभी अभिलेख प्राकृत में थे । इस में संस्कृत को राज्य शिक्षण दिया।
❇  रुद्रदामन ने सातवाहन शासक वशिष्ठ के पुत्र पुलुमावी को दो बार पराजित किया । किंतु निकट संबंधी होने के कारण उसे छोड़ दिया ।
❇ रुद्रदामन चष्टन का पुत्र व जय दामन का पुत्र था ।
❇ गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य ने चौथी शताब्दी में अंतिम शासक रुद्र सिंह तृतीय को पराजित कर शक शक्ति का उन्मुलन किया ।
❇ रुद्रदामन प्रथम गांधर्व विद्या ( संगीत ) में प्रवीण था। रुद्रदामन नामक सिक्का शक शासक रुद्रदामन ने ही चलाया ।
❇ भारत में सर्वप्रथम संस्कृत व तिथि लेख युक्त सिक्के शक शासक रुद्रदामन ने चलाएं ।
❇ शक सातवाहन काल में सोने व चांदी के *सिक्कों की विनिमय दर 1: 35 थी*
❇ शकों ने क्षत्रप प्रणाली *इरान* से ग्रहण की।


🔵🔹 *क्षहरात वंश* 🔹🔵

🏐  भूमक शहरात वंश का प्रथम शासक था नहपान भूमक का उत्तराधिकारी था।
🏐  नासिक अभिलेख संख्या 10 के अनुसार नहपान के दामाद ऋषभ दत्त ने ब्राह्मणों व बौद्ध भिक्षुओं को दान दिया । कन्हेरी अभिलेख में कार्ले के बौद्ध संघ के लिए कर्जत ग्राम के दान का उल्लेख है । इसी अभिलेख में वर्णासा व प्रभास के ब्राह्मणों को गांव दान देने का उल्लेख है ।
🏐 शक मुद्राओं पर शिव पार्वती के चित्र मिलते हैं ।
🏐 *जिस प्रकार कोई महान पराक्रम करने पर रोमन सम्राट सीजर की उपाधि धारण करते थे, उसी प्रकार भारतीय शासक विक्रमादित्य की उपाधि धारण करते थे।* गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य की उपाधि धारण करने वाले शासकों में सबसे प्रसिद्ध था तथा मध्यकाल में *हेमू अंतिम व 14 शासक था* जिसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।
🏐 मिलिंदपन्हो में भी शक जाति का उल्लेख है चीनी लेखों में शक जाति के लिए *सई* नाम का प्रयोग हुआ है।


🔵🔹 *कुषाण वंश* 🔹🔵

❇  ये यूची कबीले से संबंधित थे । कालांतर में युचि कबीला पांच भागों में बट गया । इनमें *कोई चाउ आंग शाखा* ने भारत में कुषाण वंश की स्थापना की ।
❇ *कुजूल कडफीसस -* यह कुषाण वंश का प्रथम शासक था। इसके प्रारंभिक सिक्कों पर यूनानी राजा हर्मियस की आकृति उत्किर्ण है । जिससे सिद्ध होता है कि यह पहले हर्मीयस्त के अधीन था। इसने रोमन सिक्कों की नकल पर तांबे के सिक्के ढलवाए तथा महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। इन सिक्के की लिपि यूनानी व खरोष्ठी थी।
❇  विम कटफिशस सर्वप्रथम इसने ही भारत में कुषाण वंश की सत्ता स्थापित की । विम ने बड़ी मात्रा में सोने एवं तांबे के सिक्के चलाए। विम शेव मत का अनुयाई था । इसके सिक्कों पर शिव नंदी एवं त्रिशूल की आकृतियां मिलती हैं । उसने महेश्वर की उपाधि धारण की ।
❇ कुषाणों में भारत में सर्वप्रथम सोने के सिक्कों विम कटपीसस ने ही चलाएं ।

☀ *कनिष्क* ☀

❇ कनिष्क महानतम कुषाण शासक था, जो 78 इसी में गद्दी पर बैठा। *उसने 78 ई. में एक संवत चलाया जो शक संवत के* नाम से प्रसिद्ध है ।
❇ उसके शासनकाल में कश्मीर में कुंडल वन में वसुमित्र की अध्यक्षता में चौथी बौद्ध संगति हुई । चौथी बौद्ध संगति में बौद्ध ग्रंथों पर जो टिकाए लिखी गई। उन्हें विभाषा शास्त्र कहा जाता है। विभाषा शास्त्र को की रचना *वसुमित्र* ने की ।
❇ सारनाथ अभिलेख से कनिष्क के महाक्षत्रप खरपप्लान व वनस्पर का नाम मिलता है। उत्तर पश्चिम में लल्ल व लाइक उसके क्षत्रप थे ।
❇ कनिष्क के साम्राज्य की प्रथम राजधानी पेशावर या पुरुषपुर तथा दूसरी राजधानी मथुरा थी।कनिष्क ने कनिष्कपुर नामक  नगर बसाया । कनिष्क ने तक्षशिला में शिरकप नामक नगर स्थापना पर एक नए नगर का निर्माण किया ।
❇ व्हेनसांग ने पुरुषपुर में कनिष्ठ द्वारा निर्मित कनिष्क विहार को देखा ।कनिष्क ने  पेशावर में स्तूप का निर्माण किया। पेशावर स्थित कनिष्क चैत्य का निर्माण व वास्तुकार अंगिलस ने किया। यह पहला चैत्य है जिस में लोहे के छत्र का प्रयोग हुआ।
❇  पार्श्व कनिष्क के राज गुरु थे। पश्र्व की सलाह से कनिष्क ने चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन किया ।
❇ कनिष्क चीन सेनापति पान चाओ से पराजित हुआ। कनिष्क ने उत्तर को छोड़कर अन्य सभी दिशाओं को जीत लिया।
❇  माध्यमिका दर्शन के आचार्य नागार्जुन ने प्रज्ञापारमिता सूत्र की रचना की। नागार्जुन विदर्भ का रहने वाला ब्राह्मण था।
❇ *हुविष्क* के समय कुषाण सत्ता का केंद्र पेशावर से मथुरा हो गया। हुविष्क के सिक्कों पर शिव स्कंद तथा विष्णु आदि देवताओं तथा श्रृंग धारण किए उमा की आकृतियां उत्कीर्ण है ।
❇ हुविष्क ने चतुर्भुजी विष्णु के सिक्के चलाएं । हुविष्क के सिक्कों पर संकर्षण एवं वासुदेव दोनों अंकित है।
❇ कनिष्क कुल का अंतिम महान शासक वासुदेव प्रथम था। वासुदेव के हैं। सिक्कों पर शिव उमा का चित्र है । एक सिक्के पर शिव का हाथी के साथ चित्र हैं।
❇  *कुषाणों ने भारत में सर्वप्रथम शुद्ध सर्वण मुद्राएं निर्मित करवाई । प्रथम बार स्वर्ण मुद्रा इंडो ग्रीक शासकों ने तथा वृहद् स्तर पर कुषाणों ने चलाई। सर्वाधिक स्वर्ण मुद्राएं गुप्ता ने चलाई ।*
❇ कुषाण शासको के सोने और तांबे के सिक्के बहुतायत से मिलते हैं । लेकिन विम कार्डफिशस इस व हुविष्क का एक-एक चांदी का सिक्का भी प्राप्त हुआ है ।
❇ वासुदेव द्वितीय अंतिम कुषाण शासक था।
_*कुषाण कला*_
_भारत में चमड़े के जूते बनाने, लंबे कोट पहने व पतलून बनाने का प्रचलन कुषाण काल में शुरू हुआ। उस सिक्कों में शासकों को लंबा कोट , पतलून व जूते पहने दिखाया गया

Wednesday, August 2, 2017

Second World War In Hindi

द्वितीय विश्वयुद्ध की पूरी जानकारी | About Second World War In Hindi

 

 Second World War 

 द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितंबर, 1939 से 2 सितंबर, 1945 तक चलने वाला एक विश्व-स्तरीय युद्ध था। इस युद्ध में लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएं सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था – मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में 5 से 7 करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था।

द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत कैसे हुई – Second World War Reason In Hindi

पहले विश्वयुद्ध में हार के बाद जर्मनी को वर्साय की संधि पर जबरन हस्ताक्षर करना पड़ा। इस संधि के कारण उसे अपने कब्ज़े की बहुत सारी ज़मीन छोडनी पड़ी, किसी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं करने की शर्त माननी पड़ी, अपनी सेना को सीमित करना पड़ा और उसको पहले विश्व युद्ध में हुए नुकसान की भरपाई के रूप में दूसरे देशों को भुगतान करना पड़ा। 1933 में जर्मनी का शासक एडोल्फ हिटलर बना और तुंरत ही उसने जर्मनी को वापस एक शक्तिशाली सैन्य ताकत के रूप में प्रर्दशित करना शुरू कर दिया। इस बात से फ्रांस और इंग्लैंड चिंतित हो गए जो की पिछली लड़ाई में काफ़ी नुक़सान उठा चुके थे। इन सब बातों को देखकर और अपने आप को बचाने के लिए फ्रांस ने इटली के साथ हाथ मिलाया और उसने अफ्रीका में इथियोपिया- जो उसके कब्ज़े में था- को इटली को देने का मन बना लिया। 1935 में बात और बिगड़ गई जब हिटलर ने वर्साय की संधि को तोड़ दिया और अपनी सेना को बड़ा करने का काम शुरू कर दिया।
जैसे जैसे समय बीतता गया तनाव बढता रहा। यूरोप में जर्मनी और इटली और ताकतवर होते जा रहे थे और 1938 में जर्मनी ने आस्ट्रिया पर हमला बोल दिया फिर भी दुसरे यूरोपीय देशों ने इसका ज़्यादा विरोध नही किया। इस बात से उत्साहित होकर हिटलर ने सदेतेनलैंड जो की चेकोस्लोवाकिया का पश्चिमी हिस्सा है और जहाँ जर्मन भाषा बोलने वालों की ज्यादा तादात थी वहां पर हमला बोल दिया। 1937 में चीन और जापान मार्को पोलों में आपस में लड़ रहे थे। जापान धुरी राष्ट्र के समर्थन मे था, क्यूंकी वो एशिया मे अपनी धाक जमाना चाहता था। सितम्बर 1939 में सोविएत संघ ने जापान को अपनी सीमा से खदेड़ दिया और उसी समय जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोल दिया। फ्रांस, इंग्लैंड और राष्ट्रमण्डल देशों ने भी जर्मनी के खिलाफ हमला बोल दिया परन्तु यह हमला बहुत बड़े पैमाने पर नही था सिर्फ़ फ्रांस ने एक छोटा हमला सारलैण्ड पर किया जो की जर्मनी का एक राज्य था। धीरे-धीरे बात बढ़ती गयी और दूसरे विश्व युद्ध शुरू हो गया।

द्वितीय विश्व युद्ध का अंत कैसे हुआ –

सन् 1944 में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् 1 945 के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त 8 मई 1945 को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया।
सन् 1944 और 1945 के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। इस तरह 1945 में एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया।

द्वितीय विश्व युद्ध मे भारत की भूमिका –

दूसरे विश्वयुद्ध के समय भारत मे आज़ादी की लड़ाई चल रही थी लेकिन भारत पर अंग्रेज़ो का कब्जा था। इसलिए आधिकारिक रूप से भारत ने भी नाजी जर्मनी के विरुद्ध 1939 में युद्ध की घोषणा कर दी। ब्रिटिश राज (गुलाम भारत) ने 20 लाख से अधिक सैनिक युद्ध के लिए भेजा जिन्होने ब्रिटिश नियंत्रण के अधीन धुरी शक्तियों के विरुद्ध युद्ध लड़ा। इसके अलावा सभी देशी रियासतों ने युद्ध के लिए बड़ी मात्रा में अंग्रेजों को धनराशि प्रदान की।

द्वितीय विश्वयुद्ध से जुड़े तथ्य और जानकारियां – Second World War Facts & Information In Hindi

1.  इस युद्ध में 11 मिलियन लोग मारे गए थे तो वहीं कई देशों का वर्चस्व भी खत्म हो गया था।

2. रूस ने अपने सबसे ज्यादा नागरिकों को खोया। करीब 21 मिलियन रूसी नागरिक इस युद्ध में मारे गए थे।

3. इस युद्ध के दौरान करीब 1.5 मिलियन बच्चों की मौत हुई थी।
 
4. द्वितीय विश्व युद्ध 6 सालों तक लड़ा गया।
 
5. हिटलर को द्वितीय विश्वयुद्ध के लिये जिम्मेदार माना जाता है।
 
6.द्वितीय विश्वयुद्ध में 61 देशों ने हिस्सा लिया।
 
7. सोवियत संघ पर जर्मनी के आक्रमण करने की योजना को बारबोसा योजना कहा गया।
 
8. 1939 से 1945 के बीच करीब 3.4 मिलियन बम गिराए गए थे यानी प्रतिमाह औसतन 27,700 बम।
 
9 .जर्मनी की ओर से द्वितीय विश्वयुद्ध में इटली ने 10 जून 1940 ई. को प्रवेश किया।
 
10. अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में 8 सितंबर 1941 ई. में शामिल हुआ।
 
11. द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अमेरिका का राष्ट्रपति फैंकलिन डी रुजवेल्टई था।
 
12. करीब छह मिलियन ज्यूइस नागरिकों की हत्या होलोकॉस्ट के दौरान हुई।
 
13. इस युद्ध के दौरान ही भारतीय धार्मिक प्रतीक चिन्ह स्वास्तिक का प्रयोग नाजी सेना ने किया।
 
14. युद्ध के समय इंगलैंड का प्रधानमंत्री विंस्टरन चर्चिल थे।
 
15. अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर एटम बम का इस्तेेमाल 6 अगस्तर 1945 ई. में किया।
 
16. द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय का श्रेय रूस को जाता है।
 
17. द्वितीय विश्व युद्ध में मित्रराष्ट्रों के द्वारा पराजित होने वाला अंतिम देश जापान था।
 
18. 1942 से 1943 के बीच स्टालिनग्रैड के युद्ध में 800,000 से 1,600,000 से ज्यादा लोगों की मौत।

Interesting Facts about NASA in Hindi

नासा से जुड़े कुछ ऱोचक तथ्य – Interesting Facts about NASA in Hindi

 

दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी NASA का नाम तो हर किसी ने सुना होंगा लेकिन नासा से जुड़े कुछ ऐसे ऱोचक तथ्य है जो कोई नहीं जानता तो आइये जानते है NASA से जुड़े कुछ ऱोचक तथ्य। :-

1. NASA की स्थापना आज से करीब 58 साल पहले यानी 29 जुलाई सन् 1958 में को गई थी।
2. NASA का हैडकार्टर वाशिंगटन में है और इस पर पूरी तरह से अमेरिका का कंट्रोल है।
3. NASA का फुल फॉर्म National Aeronautics and Space Administration है।
4. NASA पर हर साल करीब $19 अरब डॉलर खर्च होते है।
5. NASA में 18000 से भी ज़्यादा लोग काम करते है जिनमे से अधिकतर वैज्ञानिक है।
6. एक बार यमन के तीन लोगो ने NASA पर मंगल ग्रह पर घुसपैठ का मामला दर्ज कराया था।
7. उनका मानना था कि मंगल ग्रह पर उनके पूर्वजो का हक़ है और NASA उसपर घुसपैठ नहीं कर सकता।
8. NASA से पहले”National Advisory Committee for Aeronautics (NACA)” नामक एक एजेंसी हुआ करती थी जो अंतरिक्ष के मामलो में सलाह या फैसला देती थी।
9. NASA ने 1 अक्टूबर सन् 1958 से कार्य करना शुरू किया था और तब से आज तक अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण के सारे कार्यक्रम नासा द्वारा ही संचालित किए गए है।
10. चाँद पर पहुचने वाला पहला यान(अपोलो) भी नासा द्वारा ही भेजा गया था।
11. आपको यह जानकार हैरानी होंगी की नासा “Prolonged Weightlessness” की स्टडी करने के लिए कुछ लोगो को सिर्फ महीनो भर तक आरामदायक बिस्तर पर सोने के लिए पैसे देता है।
12. अमेरिका में जब कभी भी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन किसी के ऊपर से गुजरता है तो नासा उन लोगो को मैसेज करता है।
13. अमेरिका के संघीय बजट का 20% नासा को जाता है।
14. अमेरिका की हर $1 डॉलर की कामाई मे से करीब $0.005 डॉलर नासा में जाता है।
15. एक अनुमान के मुताबिक NASA के द्वारा बनाए गए 100000 यानो में से सिर्फ 1 यान के असफल हो सकता है।
16. कई लोगो का यह भ्रम है कि नासा एक स्पेस पेन बनाने में लाखों डॉलर खर्च कर चुका है लेकिन यह सही नहीं है।
17. NASA के एक Thad Roberts नामक प्रिशिक्षु को 7 साल जेल में गुजारने पड़े थे क्योंकि वह अपनी गर्लफ्रेंड के साथ चोरी किये हुए चाँद के पत्थर के टुकडो पर सेक्स कर रहा है।
18. माना जाता है कि NASA शरीर पर शून्य गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव की जांच करने के लिए आपको 24 घंटे बिस्तर पर सोने के $15000 डॉलर दे सकता है।
19. The Learning Channel(TLC) नासा के सहयोग से ही शुरू किया गया है।
20. NASA ने अब तक invisible braces, scratch resistant lenses जैसी कई खोजे भी की है।
21. NASA एक ऐसा इंजन तैयार करने वाला है जो कुछ ही दिनों में मंगल ग्रह पर पहुच सकेंगा।
22. जब कभी भी किसी भी गृह पर जीवन संभव हुआ तो NASA ने उसके लिए अभी से एक Planetary Protection Office बनाया ताकि वह उस समय उसका इस्तेमाल कर सके।
23. NASA के पास कही पर भी कभी भी मूसलाधार बारिश कराने की तकनीक भी है।
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